न जाने वो कौन होगी...
जिसके लिए दिल ये बेताब है,
सच में है या महज़ एक ख़ाब है।
न होने पर भी उसी के होने का एहसास है,
लगता है जैसे कि वो कहीं आस पास है।
मुस्कान लिए एक चेहरा सपनों में आता है,
आँख खुलते ही कहीं खो जाता है,
जिसके लिए दिल ये बेताब है,
सच में है या महज़ एक ख़ाब है।
न होने पर भी उसी के होने का एहसास है,
लगता है जैसे कि वो कहीं आस पास है।
मुस्कान लिए एक चेहरा सपनों में आता है,
आँख खुलते ही कहीं खो जाता है,
जैसे मुझमें ही कहीं सो जाता है।
ढूँढता रहूँ उसे मैं कहाँ,
जिस अजनबी के लिए
ढूँढता रहूँ उसे मैं कहाँ,
जिस अजनबी के लिए
दिल मे बसा है एक जहाँ...
---संदीप