Wednesday 31 July 2019

न जाने वो कौन होगी...

                       


न जाने वो कौन होगी...
जिसके लिए दिल ये बेताब है,
सच में है या महज़ एक  ख़ाब है।
न होने पर भी उसी के होने का एहसास है,
लगता है जैसे कि वो कहीं आस पास है।
मुस्कान लिए एक चेहरा  सपनों में  आता है,
आँख खुलते ही कहीं खो जाता है, 
जैसे मुझमें ही कहीं सो जाता है।
ढूँढता रहूँ उसे मैं कहाँ,
जिस अजनबी के लिए 
दिल मे बसा है एक जहाँ...
                                                       
                                                           ---संदीप

पुरुष

                            पुरुष                 पुरुषों के साथ समाज ने एक विडंबना यह भी कर दी की उन्हें सदा स्त्री पर आश्रित कर दिया गया। ...