Saturday 28 March 2020

मजदूर की मजबूरी (कोरोना)

 इस वैश्विक महमारी के दौर में सरकारे विदेशी लोगों को भेजने के लिए विमानों का इंतज़ाम कर रही है ,जिन्होंने ने उन्हें मत तक नही दिया है और वो  मज़दूर गरीब लोग जो मत देते हैं ये सोच कर की अबकी बार हमारे हक की बात होगी । वो लोग भूखे प्यासे पैदल ही दर दर भटक रहे है ना ही कारखानों के मालिक सहारा दे रहे है और ना ही वो अपने घर को जा सकते हैं। इस आपात समय में मजदूरों को औरतों को सड़कों में बिना चप्पलों के चलते देखना, बच्चों को कंधे पर बैठाकर चलते देखना एक अजीब सा दर्द दे रहा है। आज़ादी के इतने वर्षों बाद हमारा विकास सड़कों पर कीड़ों की तरह रेंग रहा है। हम हमेशा पाकिस्तान पर तंज कसते रह गए, कभी अपने गिरेबान में नहीं झांका हमने।हाँ सच है कि हमने तरक्की की है पर सिर्फ अमीरों ने गरीबों ने मज़दूरों ने नहीं। सिर्फ अमीर ही और अमीर हुए है,आज़ादी के बाद से तो गरीबी दर  और बढ़ी ही है पहले के मुकाबले। 
(हा सच है कि उनमें से कुछ लोगो ने घर जाने के लिए गलत तरीका अपनाया पर वो भी तो मजबूर हैं काम धंधा न होना खाने पिने का ठिकाना न होने से बेहतर है अपने घर को लौट जाना।)
(बीमारी लायी और फैलाई विदेशों में घूमने वाले लोगों ने और बेचारे गरीब अपने ही देश मे बेघर भटके)
(सरकार को इन सब की जिम्मेदारी लेते हुए इन गरीब लोगों को उनके घर तक पहुचाना चाहिए, पर इस बात का ख्याल रखते हुए की इनमे से कोई भी  corona positive न हो🙏)
(यह सब मेरा अपना व्यक्तिगत मत है ।)

पुरुष

                            पुरुष                 पुरुषों के साथ समाज ने एक विडंबना यह भी कर दी की उन्हें सदा स्त्री पर आश्रित कर दिया गया। ...