कविताएँ, शायरियाँ, लघुकथा, यात्रा वृत्तांत, प्रेरणादायक व ज्ञानवर्धक बातें और भी बहुत कुछ हिंदी में...
Saturday 30 October 2021
याद
Thursday 28 October 2021
प्यार में लड़के
Sunday 24 October 2021
पहली मोहोब्बत
Saturday 9 October 2021
नौकरी
काम पसन्द हो न हो,
फिर भी काम कराती है।
ऊंचे ऊंचे लाखों सपनों को,
चंद रुपयों से मार गिराती है।
कभी घर परिवार से तो,
कभी अपनों से दूर कराती है।
कई अनजान चेहरों से मिलाती है,
हाय... ये नौकरी क्या क्या कराती है।
न मरने देती है,
न ही जिलाती है।
भर दिन दौड़ाती है,
नींद कहाँ आने देती है।
सैकड़ों झूठ बुलाती है,
सहपाठियों से लड़ाती है।
बाबूओं के तलवे भी चटाती है,
हाय... ये नौकरी क्या क्या कराती है।
कुछ जिंदगी से लड़ने को,
तो कुछ जिम्मेदारियों के नाते।
गैरों की चाकरी करते हैं,
हाँ हम भी नौकरी करते हैं।
पर इन सब से दूर,
हमने भी कई सपने पाल रखे हैं।
जीवन भर यूँ ही,
नौकरी ही न करते रहने का ख्याल रखे हैं।
कुछ कठोर फैसलें होंगें,
हालातों से ऊंचे हमारे हौसलें होंगे।
एक दिन हम भी बाबू साहब होंगे,
हमारी भी लोग नौकरी करेंगें।
:- संदीप प्रजापति
(हालातों के चलते न चाहते हुए भी मन मार के नौकरी करने वाले सभी लोगों को समर्पित।)
पुरुष
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