Saturday 30 October 2021

याद

                     याद

वो पहला स्पर्श याद आया होगा,
वो पहला निष्कर्ष याद आया होगा।
वो पहली बरसात याद आयी होगी,
वो पहली मुलाकात याद आयी होगी।
वो पहला चुम्बन याद आया होगा,
वो पहला क्रंदन याद आया होगा।
वो पहली दफा राहों में आना याद आया होगा,
वो पहली दफा बांहों में आना याद आया होगा।
वो पहले यार का याराना याद आया होगा,
वो पहले प्यार का खजाना याद आया होगा।
लाखों होंगे उसके चाहने वाले अब भी,
फिर भी उसे गुजरा जमाना याद आया होगा।
जब भी वो किसी नए आशिक़ से मिलती होगी,
बस वही आशिक़ पुराना याद आया होगा।

                                                       :- संदीप प्रजापति

(प्रेम में पूर्णतः समाहित एक व्यक्ति हमेशा इसी कल्पना में रहता है कि शायद उसके प्रेमी ने जीवन में एक न एक बार तो किसी न किसी अवसर पर उसे याद तो जरूर किया होगा या किसी घटना ने उसे उसकी याद दिला दी होगी और कुछ भूली बिसरी स्मृतियों ने उसके भी हृदय को गुदगुदाया होगा। वो एक ही आश में रहता है कि हम दोनों एक ही दुनिया में है, जीवन के किसी न किसी छोर पर भेंट तो होगी ही फिर पूछूंगा कभी मेरी याद आयी थी?)


Thursday 28 October 2021

प्यार में लड़के

                           प्यार में लड़के



            लड़कियों तुमको भी किसी लड़के से प्यार तो हुआ ही होगा। पर क्या तुमको कभी किसी लड़के के शर्ट से,पैंट से,घड़ी से,बालों से या उससे जुडी किसी भी चीज से कभी प्यार हुआ है?
नहीं न।
हम लड़को को हुआ है।
       तुमसे भी हुआ है और तुम्हारी हर उस चीज़ से हुआ है जो तुमसे होकर गुजरती हो। तुम्हारे कपड़ों से लेकर जूते ,चप्पलों को भी हम लड़के इतनी बारीकी से प्यार कर जाते हैं जैसे उसमें भी तुम ही समाई हो। तुम्हारे इश्क़ को पाने में तुमसे जुड़ी हर उस चीज़ से इश्क़ कर बैठते हैं, जिसका लड़कों के जीवन में कभी कोई महत्त्व ही न हो। पर क्या करें एक तुमको रिझाने में ये सब भी करना पड़ता है। कभी तुम्हारे टूटे बालों को ही सहेज लेना तो कभी तुम्हारे होंठो की लाली का रंग याद कर लेना भी हमें तुम्हारे प्यार का भागी बना देता है। तुम्हारी दिनचर्या को रटने में अपनी दिनचर्या भूला बैठते है,क्या करें तुमसे प्यार जो कर बैठते हैं। कभी तुमको एक झलक देख लेने के लिए सारा दिन गवां देने में भी किसी दिहाडी के मजदूर सी खुशी को पा लेते हैं जिसके दिन भर की मजदूरी तुम्हारी एक झलक जैसी हो। तो कभी भीड़ से गुजरते हुए भी तुम्हारी इत्र की खुशबू को पहचान लेते हैं। तुम्हारे जुड़ों से लेकर जूतों तक कि सारी चीज़ों की महीनता को याद कर जाते हैं, बस एक दफा मुस्कुराकर देख लोगी इसी आश में जवानी बर्बाद कर जाते हैं। गिनाने को तो ऐसी बहुत सी चीजें है जो लड़के सिर्फ तुमसे आकर्षित होकर ही कर जाते हैं। खैर तुमने कभी इन बातों को न जाना हो मगर एक तुमको चाहने में लड़के तुम्हारे साथ साथ सब कुछ चाहने लग जाते हैं।


(प्रेम या आकर्षण में आकर ऐसी कई बेतुकी बातें है जो लड़के किसी लड़की के लिए कर जाते हैं परंतु एक निश्चित कालावधि के बाद उनको स्वतः ही बोध हो जाता है कि वो कितना बचकाना और मूर्खतापूर्ण व्यवहार किसी लड़की के आकर्षण में कर गए थे।)

Sunday 24 October 2021

पहली मोहोब्बत

                           पहली मोहोब्बत


बांहो में सिमटकर 
जब सीने से लगाया होगा,
पागलपन सिर्फ मेरा ही नही
इश्क़ ने पागल तुम्हे भी बनाया होगा।

दिल सिर्फ मेरा ही नही बैठा होगा
कदम तुम्हारे भी डगमगाए होंगे,
प्रेम कहानी अधूरी लिखने में
हाथ तुम्हारे भी थरथराए होंगे।

यूँ ही नही चांदनी रात में
तुम सिर्फ अलविदा कहने आयी होगी,
उस आखिरी चुम्बन पर 
आँखें तो तुम्हारी भी भर आयी होगी।

कहीं और से तुमने भी
पहली मोहोब्बत का एहसास पाया होगा,
मेरी पहली मोहोब्बत तुम ही थी जानोगी तब 
जब मेरे बाद तुमको मेरा प्यार समझ आया होगा।

                                              :- संदीप प्रजापति

Saturday 9 October 2021

नौकरी

नौकरी


काम पसन्द हो न हो,
फिर भी काम कराती है।
ऊंचे ऊंचे लाखों सपनों को,
चंद रुपयों से मार गिराती है।
कभी घर परिवार से तो,
कभी अपनों से दूर कराती है।
कई अनजान चेहरों से मिलाती है,
हाय... ये नौकरी क्या क्या कराती है।

न मरने देती है,
न ही जिलाती है।
भर दिन दौड़ाती है,
नींद कहाँ आने देती है।
सैकड़ों झूठ बुलाती है,
सहपाठियों से लड़ाती है।
बाबूओं के तलवे भी चटाती है,
हाय... ये नौकरी क्या क्या कराती है।

कुछ जिंदगी से लड़ने को,
तो कुछ जिम्मेदारियों के नाते।
गैरों की चाकरी करते हैं,
हाँ हम भी नौकरी करते हैं।
पर इन सब से दूर,
हमने भी कई सपने पाल रखे हैं।
जीवन भर यूँ ही,
नौकरी ही न करते रहने का ख्याल रखे हैं।
कुछ कठोर फैसलें होंगें,
हालातों से ऊंचे हमारे हौसलें होंगे।
एक दिन हम भी बाबू साहब होंगे,
हमारी भी लोग नौकरी करेंगें।

                                           :- संदीप प्रजापति


(हालातों के चलते न चाहते हुए भी मन मार के नौकरी करने वाले सभी लोगों को समर्पित।)

पुरुष

                            पुरुष                 पुरुषों के साथ समाज ने एक विडंबना यह भी कर दी की उन्हें सदा स्त्री पर आश्रित कर दिया गया। ...