सच्चाई अपनी सूरत की है पता,
फिर भी आईने में खुद को सँवार लेता हूँ...
सच सुनकर रिश्ते सारे मर न जाए,
इसीलिए कई दफा लफ्ज़ अपने सुधार लेता हूँ...
कल की फ़िकर नहीं मुझको,
जीवन यूँ ही आज में गुजार लेता हूँ...
कभी चुकाऊंगा कर्ज़ तेरा जिंदगी,
आज मोहलत में चंद साँसें उधार लेता हूँ...
रातें ये जाड़े की जो कटती नहीं,
'संदीप' नाम किसी हमनशीं का पुकार लेता हूँ...
:- संदीप प्रजापति