Saturday 6 May 2023

प्रेम अभिलाषा

                               प्रेम अभिलाषा

"रंगभेद, जात-पात, ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी; सब कुछ भलीभाँति जानता था। हालाँकि फिर भी मेरे हृदय ने कभी तुम्हारी आश न छोड़ी थी। एक उम्मीद सी लगभग जगी रहती ही थी, की एक दिन मैं तुम्हारा हाथ माँग ही लूँगा और प्रेम के अनंत गगन में उड़ चलूँगा।"
              परंतु ये सामाजिक मान्यताएँ क्या मेरी कल्पनाओं को पूर्ण होने देंगी? क्या मिथिला की बेटी फिर कभी अवध की ओर ब्याह दी जाएंगी? और ब्याह भी दे दी गई तो क्या नियती उन्हें सुखी जीवन दे पाएगी। या फिर बस उन्हें सारा जीवन प्रेम परीक्षाओं की कसौटियों पर ही कसा जाएगा?

:- संदीप प्रजापति
                  
( राम-सीता विवाह प्रसंग द्वारा कुछ कल्पनाएँ जागृत हुई, जो उक्त पंक्तियों में पिरोने से खुद को रोक न पाया।)
सीताराम🙏🚩

पुरुष

                            पुरुष                 पुरुषों के साथ समाज ने एक विडंबना यह भी कर दी की उन्हें सदा स्त्री पर आश्रित कर दिया गया। ...