आज हमें बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के लिए कठोर कानून के साथ - साथ एक ठोस सामाजिक मानसिकता विकसित करने की भी आवश्यकता है। हमें बाल्यावस्था से ही बच्चों को स्त्रियों का सम्मान और आदर करना सिखाना चाहिए। उन्हें छोटी उम्र से ही बलात्कार जैसे अमानवीय अपराध और पाप के बारे में बताना चाहिए। बालकों को युवा होने पर चरित्र, मर्यादा, पुरुषार्थ आदि का पालन करना सीखाना होगा।
केवल कानून, प्रशासन और सरकार के भरोसे बैठने से कुछ नहीं होगा, हम सभी भली-भाँति जानते हैं ये सब क्या कर रहे हैं! इसीलिए हमें आवश्यकता है कि हम सब मिल कर खुद ही समाज मे परिवर्तन लाएं और ऐसे अपराध के प्रति पहल करें। क्योंकि कोई घटना घट जाने के बाद ही कानून बनता है परंतु उसके बाद भी वह अपराध थमता नहीं है जो कि सत्य है। ये अंग्रेजों द्वारा बनाया गया कानून है ही ऐसा जिसने हमारे महान पूर्वजों वीरों की न्यायव्यवस्था को खोखला कर दिया। कागजों पर नई कानूनी धाराओं से नहीं संस्कारों और विचारधाराओं से ऐसे अपराध रोके जा सकते हैं। और इन सब के बावजूद भी अगर ऐसी घटना हो तो इन हैवानों के साथ वही होना चाहिए जो छत्रपति शिवाजी महाराज और फूलन देवी जी ने किया था।
हमारा उद्देश्य पाप को जड़ से खत्म करना होना चाहिए नाकि पापी को अगर पाप ही खत्म हो जाए तो पापी उत्तपन्न ही नही होगा।
यह मेरा अपना व्यक्तिगत विचार है , इससे अगर किसी की भी भावनाओं को आहत पहूँचती है तो मैं उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
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