झोपड़पट्टी
जैसा कि हम सभी ने देखा है,झोपड़पट्टीयाँ गन्दी और मैली-कुचैली ही होती हैं। इन गन्दी बस्तियों को देखकर हम सोचते हैं कि काश यह न होते तो हमारा शहर और अधिक सुंदर होता। शायद कुछ हद तक यह सच भी है। झोपड़पट्टियों में लोग छोटे-छोटे मकानों में रहते हैं, जिन्हें कुछ लोग माचिस की डिब्बियों के समान ही उपमा देते हैं। अधिकतर मकान तो टिन, पतरों और बाँसों के ही बने होते हैं और कुछ ही मकान पक्के होते हैं। इन बस्तियों की सँकरी गलियों को देखकर किसी का भी जी ऊब जाए परन्तु इन्हीं बस्तियों में कई लोगों का जीवन बसता है।
वैसे तो ऐसे इलाकों में बिजली, पानी और सामान्य जरूरतों की कई समस्याएं होती ही हैं, परन्तु इन सब में सबसे महत्वपूर्ण होता है, शौचालय की समस्या। आज केवल मुम्बई जैसे शहर में ही अनेकों ऐसी बस्तियाँ मौजूद हैं जहाँ शौचालय नहीं है, और यदि है भी तो बहुत बुरी अवस्था में होती है। इन झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग गन्दगी की समस्या से भी अछूते नही रहें हैं और इसी गन्दगी के कारण कई रोगों का भी प्रसरण होता है।
यदि बात की जाए इन बस्तीवासियों के रहन-सहन की तो यह बहुत ही बद्दतर होती है। ये लोग अशिक्षित होने के कारण कोई ढंग का काम नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण इन्हें मेहनत-मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट पालना पड़ता है। ऐसी बस्तियों में सामाजिक अव्यवस्था होने के कारण नौयुवक नशे, चोरी और अश्लीलता जैसे कुकृत्यों के जाल में फँस जाते हैं और अपना जीवन व्यर्थ कर बैठते हैं। वैसे कुछ ऐसे भी जुझारू लोग होते हैं ,जो अपनी इस गरीबी और बदहाली से भरी जिंदगी से प्रेरणा लेकर अपनी आर्थिक स्तिथि को सुधारने के लिए जी - जान लगा कर अपने सपनों को पूरा करते हैं। ऐसे लोग अत्यधिक संवेदनशील और कर्मठ होते हैं।
इन झोपड़पट्टियों का एक अनोखा पहलू यह भी है कि यहाँ जीवन कठिन तो होता ही है परन्तु रोमांचक भी होता है। ऐसी बस्तियों के बच्चों का बचपन सबसे सुहावना होता है, वे बचपने का पूर्ण रूप से आनन्द ले पाते हैं, वे लोग छोटी-छोटी चीज़ों में ही खुशियाँ खोज लेते है। जैसा की सामान्यतः विकसित समाज में नहीं होता है,जहाँ लोग एक दूसरे तक को नहीं जानते हैं, अपने पड़ोसी तक को नहीं पर इन बस्तियों में ऐसा नहीं होता है, यहाँ तो लोग एक दूसरे को परस्पर जानते भी हैं और आपसी मेल-मिलाप भी रखते हैं तथा सारे तीज-त्यौहार एक साथ हँसी खुसी मनाते हैं।
बड़े - बड़े शहरों में बसने वाली ये छोटी - छोटी झोपड़पट्टीयाँ उन शहरों के लिए समस्या नहीं बल्कि कई जिंदगियों के लिए समाधान हैं। जिनके छोटे-छोटे घरों में बड़े-बड़े सपने पलते हैं।
धन्यवाद!
Nice bhai
ReplyDeleteThnx bro....
DeleteNice dost
ReplyDeleteThanks dost
DeleteNice bro 🤟
ReplyDeleteThanks bhai😇
DeleteVery nice n true👌
ReplyDeleteKeep writing..
Thank you so much😇
DeleteAlways👍
Keep up ������
ReplyDeleteOk👍
DeleteNice bro
ReplyDeleteThanks bro....😊
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