एक रोज़ गाँव में
बैठा था आम की छाँव में
देखा मैंने एक लड़की
पायल पहने पाँव में
आँखों में मासूमियत चेहरे पर लाली
जैसे आयी हो स्वर्णिम नाँव में
सुंदर सुसज्जित गठीली
परन्तु विचित्र हावभाव में
देख कर लगा ऐसे
जैसे फँसी हो किसी दाँव में
न जाने क्या थी उसकी दशा तब से रह गया मैं
एक अजात घांव में....
---संदीप
---संदीप
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