Friday 2 August 2019

मेरा प्रेम : मेरी मुम्बई





                      मेरा प्रेम : मेरी मुम्बई
    
   मुम्बई कहने को तो यह सिर्फ एक शहर है, लेकिन यह शहर कई दिलों की धड़कन भी है। यह  तो सपनों का परिश्रम का शहर है।  हर रोज लाखों लोग भारत के  कोने -कोने से अपने  सपनों को साकार करने के लिए यहाँ आते हैं। ये भी सबका पूरा-पूरा सम्मान और स्वागत करती है।इसने भी कभी किसी का दिल नहीं तोड़ा। इस शहर ने  कई ऐसे व्यक्तियों को आसमान की बुलंदियों तक पहुँचाया है, जिन्होंने यहाँ लगन से परिश्रम किया और हाँ यदि कोई यहाँ कुछ कर न सका तो इसमें उस इंसान  में ही कोई कमी रही होगी।
                    सभी ओर से समंदर से घिरे इस खूबसूरत से शहर की  सुबह जितनी खूबसूरत है  इसकी शामें उतनी ही सुहावनी होती है। यहाँ समंदर किनारे बिताई गयी एक शाम भी जीवन के कई हसीन पलों के समान है। मुम्बई  की बरसात हो समुद्री किनारा हो खुबसूरत सी शाम  हो इससे ज्यादा  अच्छा और कुछ नही हो सकता । रातों में समुद्र किनारे जगमगाती रंग -बिरंगी लाइटें  तो ऐसी प्रतीत होती है जैसे जमीन पर ही सितारें टिमटिमा रहें हों। पैरों तले रेत ,सिर पर खुला आसमान ,समुद्र की बेबाक लहरों का शोर और लोगों की भीड़  इन सब ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है और  आगे सिखाती रहेंगी।
                     शहर  के एक ओर गगनचुम्बी इमारतें तो एक ओर बस्तियाँ । एक ओर  रहिसियत  तो दूसरी ओर फकिरियत  ही इसकी विशेषता है। रहिसों को तो दिया ही उसी तरह इस शहर ने ग़रीबों को भी अपने अपने दिल मे बसाया है। इस तरह से इतनी बड़ी है मेरी  मुम्बई और इसका दिल........त्याग, समर्पण ,प्रेम और न जाने कितने भावों को अपने अंदर समेटे यह शहर लोगों के सपनों को पूरा कर रही है।
                 और हाँ ,मुझे यकीन है मेरे भी सपने  यह अवश्य पूरा करेगी और इसके लिए मैं भी पूरी मेहनत और इच्छाशक्ति के साथ लगा रहूंगा।

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