सुराज्य का सपना
क्या हम सच में आजाद है? आज आजादी के इतने वर्षों बाद भी हम सँकरी मानसिकता के गुलाम बनें हैं। देश तो अंग्रेजों से आज़ाद हो गया परंतु समाज अंग्रेजियत, पश्चिमी सभ्यता, जातिवाद, दहेज, धर्म भेदभाव आदि से नहीं आज़ाद हो सका। स्वराज तो मिला हमें परंतु सुराज्य का सपना धूमिल सा ही नजर आता है। भ्रष्टाचार, महँगाई, गरीबी, अशाक्षरता जैसे कई कारण हमें पीछे की ओर खींचते हैं। आए दिन बालात्कार जैसा घिनौना अपराध भी इस भारतभूमि पर होता है।
केवल राष्ट्रीय पर्वों पर भारतीयता दिखाने से ही हम देशभक्त नहीं कहलाएंगे। हमें एकजुट होकर सारी सामाजिक समस्याओं से लड़ना होगा। आज हम सभी को प्रण करना चाहिए कि हम खुद का विकास करें और दूसरों को भी विकसित होने में मदद करें क्योंकि जब इस देश का एक एक नागरिक सक्षम बनेगा तभी तो हमारा भारत महान बनेगा।
मेरा भारत महान ।
भारत माता की जय ।
जय हिंद । जय भारत ।
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