" देहाती लोगों की वजह से ही भारत की संस्कृति और भाषाएँ बची हुई हैं , नहीं तो हम पढ़े लिखे लोगों ने तो अंग्रेज़ियत के ग़ुलाम होने में कोई कमी बाकी नही रखी है। "
कविताएँ, शायरियाँ, लघुकथा, यात्रा वृत्तांत, प्रेरणादायक व ज्ञानवर्धक बातें और भी बहुत कुछ हिंदी में...
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पुरुष
पुरुष पुरुषों के साथ समाज ने एक विडंबना यह भी कर दी की उन्हें सदा स्त्री पर आश्रित कर दिया गया। ...
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मेरी पहली किताब : एहसासों की जुबां 'एहसासों की जुबां' यह मेरी पहली ही किताब है। जिसे शाश्वत पब्लिकेशन ...
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