"मेरे दो - चार ख्वाब हैं...
जिन्हें मैं आसमां से दूर चाहता हूँ,
ज़िन्दगी चाहे गुमनाम रहे...
पर मौत मैं मशहूर चाहता हूँ।"
मेरा सब बुरा भी कहना...
पर सब अच्छा भी बताना,
मैं जब जाऊँ इस दुनिया से...
तो मेरी दास्ताँ सुनाना।
ये भी बताना की
कैसे समंदर जितने से पहले,
मैं हज़ारों बार
छोटी - छोटी नदियों से हारा था।
वो घर, वो ज़मीन दिखाना
कोई मगरूर जो कहे
तो शुरुआत मेरी बताना।
बताना सफ़ऱ की दुश्वारियां मेरी
ताकि कोई जो
मेरे जैसी ज़मीन से आए
उसके लिए नदियों की धार
हमेशा छोटी ही रहे,
और समंदर जितने का ख्वाब
उसकी आंखों से कभी ना जाए।
पर उनसे मेरी गलतियाँ भी मत छुपाना
कोई पूछे तो बता देना की
किस - दर्ज़े का नकारा था
कह देना की झूठा आवारा था।
बताना ज़रूरत पे काम न आ सका,
वादे किए पर निभा न सका
इन्तेक़ाम सारे पूरे किए
मगर इश्क़ निभा न सका
बता देना सबको की
वो मतलबी बड़ा था
पर हर बड़े मक़ाम पे
अकेले तन्हा ही खड़ा था।
"मेरा सब बुरा भी कहना
पर सब अच्छा भी बताना
मैं जब जाऊँ इस दुनिया से
तो मेरी दास्ताँ सुनाना।"
(बहुत ही सुंदर पक्तियां है पर अफ़सोस की यह मैंनें नहीं लिखी है। जिस किसी ने भी लिखा है, बहुत ही लाजवाब है। मैं सहृदय अभिनन्दन करता हुं उस व्यक्ति का। )
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