Wednesday 18 November 2020

पंक्तियाँ प्रेम की

न जाने कब तू मुझमें मुझसे ज्यादा सी हो गई

जाने कैसे लोग कई सारी मोहोब्बतें करते हैं,
हमसे तो एक ही न भुलाई जा रही।

याद तेरी यूँ ही रुलाई जा रही।

नही भुला जा रहा वो तेरा ऐंठना,
नही भुला जा रहा वो मेरा चुमना।

नहीं भूली जा रही वो तेरी मीठी सी बातें,
नहीं भूली जा रही वो मेरी अधजगी सी रातें।

नहीं भुला जा रहा तेरे बालों को धुलाना,
नहीं भुला जा रहा मेरे गालों को सहलाना।

नहीं भूली  जा रही तेरी बचकानियाँ,
नहीं भूली जा रही मेरी नादानियाँ।

नहीं भुला जा रहा तेरा वो नाम,
नहीं भुला जा रहा मेरा वो शाम।

नहीं भूली जा रही तेरी संगत,
नहीं भूली जा रही मेरी रंगत।

हो अगर मिलन दुबारा तो सीता राम सा हो,
वरना बिछड़न हमारा तो राधा श्याम सा हो।


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