कविताएँ, शायरियाँ, लघुकथा, यात्रा वृत्तांत, प्रेरणादायक व ज्ञानवर्धक बातें और भी बहुत कुछ हिंदी में...
Friday 26 November 2021
घरवाली
Friday 19 November 2021
हम छात्र हैं...
हम छात्र हैं...
हम छात्र हैं,
दया के पात्र हैं।
सम्मान हमें मिलता नहीं,
दर्द इतना की संभलता नहीं।
हर किसी का प्रभाव हम पर है,
पैसों का अभाव हम पर है।
खाली जेब औक़ात दिखाती है,
अरे भाई उम्र भी तो ढली जाती है।
कभी घर की परेशानियों से
तो कभी समाज के तानों से,
हम हार जाते हैं
अपने ही अरमानों से।
कई रातें जागी है, जवानी खपाई है,
आंखें किताबों में गड़ाई है।
फिर भी असफल हुए तो हम नाकारा है,
सफलता की हमने काबिलियत ही नहीं पाई है।
थक जो जाएं किताबों पर सिर रख सोते हैं,
एक सपना जीने को रोज थोड़ा थोड़ा रोते हैं।
बस इस साल मेहनत करलो फिर तो मौज है,
हर रोज यही सुनते सुनते जिंदगी बन गई बोझ है।
छात्र एक परिंदा होगा,
कहीं मुर्दा तो कहीं जिंदा होगा।
न किसी का साथ होगा न कोई कंधा होगा,
हम होंगे हमारा पंखा होगा और गले में फंदा होगा।
परीक्षाएँ तो होंगी मगर छात्र न होंगे,
दया तो होगी मगर दया के ये पात्र न होंगे।
:- संदीप प्रजापति
(दुनिया की इस पाठशाला में मनुष्य जीवन भर छात्र बना रहता है। मेरी यह कविता छात्र जीवन जी रहे हर उस युवा को समर्पित है, जो सारी जिम्मेदारियों को उठाते हुए भी अपने अंदर के विद्यार्थी को मरने नहीं देता है। अपने किसी विशेष लक्ष्य के लिए पढ़ता रहता है। लोगों की अवहेलना सहता है फिर भी अपने काम में लगा रहता है और फिर एक दिन सफल होकर भी दिखाता है।)
Wednesday 17 November 2021
एक तलाश जारी है...
एक तलाश जारी है...
ये तुम हो
या मेरे ख्वाबों ने
तुम्हारी तस्वीर उतारी है।
वो मासूम चेहरा
गोरे गाल
और आँखें भी तो कजरारी है।
वो सादगी मिजाज
गुलाबी होंठ
और बोली भी तो न्यारी है।
वो अल्हड़ जवानी
गठीला बदन
और चाल भी तो मतवारी है।
वो पतली कमर
ऊँचा कद
और मोहोब्बत भी तो करारी है।
वो चांदनी सुंदरता
बेदाग चरित्र
और पवित्रता भी तो सारी की सारी है।
सच कहना तुम ऐसी ही हो या,
मेरी कल्पनाओं में एक तलाश जारी है।
:- संदीप प्रजापति
(अपनी कल्पनाओं में प्रेम का एक चेहरा बुनना और उसी से अथाह प्रेम करना भी एक आनन्द है। प्रेम करने के लिए आपके पास किसी के एक वास्तविक शरीर का होना ही आवश्यक नहीं है। आप किसी स्थान, वस्तु, विचारों या स्मृतियों से भी भरपूर प्रेम कर सकते हैं जो आपको ईश्वरीय प्रेम का अनुभाव कराता रहेगा।)
Tuesday 16 November 2021
एक सवाल
पुरुष
पुरुष पुरुषों के साथ समाज ने एक विडंबना यह भी कर दी की उन्हें सदा स्त्री पर आश्रित कर दिया गया। ...
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मेरी पहली किताब : एहसासों की जुबां 'एहसासों की जुबां' यह मेरी पहली ही किताब है। जिसे शाश्वत पब्लिकेशन ...
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