एक सवाल
एक सवाल है
जवाब बताओगी क्या...
बंदिशें कितनी ही हो
तुम दौड़ी चली आओगी क्या...
रूठूँ जो कभी तुमसे
तुम प्यार से मनाओगी क्या...
थक जो मैं जाऊँ
सिर गोदी में रखकर सुलाओगी क्या...
प्रेम जितना हो तुममे
सारा प्रेम मुझपर लुटाओगी क्या...
आज ख्वाबों में आई हो
कल बाहों में भी आओगी क्या...
तुम्हारी इन हथेलियों पर
मेहँदी हमारी रचाओगी क्या...
मांग में अपनी
हमारा सिंदूर सजाओगी क्या...
फेरे पूरे सात लेकर
सात जन्मों का साथ निभाओगी क्या...
मैं जीवन भर इंतज़ार कर लूँ
बस एक बार कह दो तुम आओगी क्या...
सुनो इस बंजर मन में
प्रेम का उपवन लगा के छोड़ जाओगी क्या...
:- संदीप प्रजापति
(मन मे कुछ आशंकाएं लिए कल्पनाओं की दुनिया में प्रेम का बसेरा ढूंढ रहा एक प्रेमी। प्रेम पा लूँ या प्रेम जी लूँ बस इसी द्वंद्व में उलझा हुआ है। )
Wow it's so beautiful lines💕
ReplyDeleteMaja aa gaya
ReplyDeleteLines✨����
ReplyDeleteAmazing
ReplyDeleteThanks everyone 🤗
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