घरवाली
काजल बिंदी व कानों में
एक सूंदर सी बाली होगी...
फटे चीथड़ों के इस दौर में
सूट सलवार दुपट्टे वाली होगी...
छल कपट चालाकी से परे
सूंदर सुशील भोली भाली होगी...
सबसे न्यारी सबसे प्यारी
उसकी हर एक बात निराली होगी...
मन के सूखे में प्रेम बरसेगा
एक वो ही तो बरसाने वाली होगी...
दोस्त प्रेमिका जीवनसाथी
सब कुछ तो वो घरवाली होगी...
यूँ ही नहीं उसमें पगलाता हूँ
वो तो अप्सरा एक खयाली होगी...
प्रतिक्षाओं का अंत होगा प्रेम अनंत होगा
जब इन होंठों पे उसके होंठों की लाली होगी...
:- संदीप प्रजापती
(प्रेम की प्रतीक्षा में अपने प्रेमी के रंग-रूप, हाव-भाव की कल्पना करते हुए अपने चित्त में उसका एक सजीव चित्रण कर लेना और बस उसी चित्र को अपने ऑंखों के सामने हर घड़ी देखना भी एक बेहद ही सुखद अनुभव है।)
Kya baat😍😍😍😍
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