क्यों तू कोषे भाग्य को
बना कर्म को पतवार,
कूद संघर्षों के दरिया में
दे अस्तित्व को ललकार।
कितना आसान होता है न? अपनी नाकामी को भाग्य का दोष दे देना। कह देना की मैंने कोशिश बहुत की मगर यह तो मेरी किस्मत में ही नहीं था। अगर भाग्य ने साथ दिया होता तो आज मैं भी कुछ होता।
पर क्या सच में सफलता के लिए कर्मों के अलावा भाग्य का भी उतना ही महत्व है जितना कि कर्मों का है?
क्या सच में भाग्य के बिना कोई सफल या महान नहीं हो सकता? क्या एक भाग्यविहीन व्यक्ति सफल नहीं हो सकता? हाँ माना कि भाग्यशाली होना अच्छी बात है, जिससे जीवन में सफलता आसानी से प्राप्त हो सके। परन्तु मनुष्य को चाहिए की सदा भाग्य के भरोसे ही न बैठा रहे। उसे कर्मों यानी कि परिश्रम की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए। भाग्य साथ दे न दे लेकिन कर्म जरूर साथ देंगे। एक कर्मविहीन व्यक्ति के सफल होने की संभावना बहुत कम ही हो सकती है, परंतु किसी कर्तव्यपरायण और कर्मठ व्यक्ति के सफल होने की सम्भावना निश्चित ही है।
Nice dost☺👍👍
ReplyDeleteKeep it up... Bahot accha likhta h
ReplyDelete