माँ
जब भी हम हिम्मत हारते हैं। उदास, हताश या निराश हो जाते हैं। जब भी लगने लगता है कि हम जीवन में असफल हो गए हैं। हम ने सभी के उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। जब थक हार कर बैठ जाते हैं और लगते हैं कोसने जीवन को। तब हम अपनी अम्मा को फोन लगाते हैं। और लगते हैं रोने, जी भर के रोने। काहे से की हमें अम्मा के अलावा ऐसा कोई व्यक्ति नहीं नजर आता जिसके आगे हम रो सके। मां ने कभी रोने से तो माना नही किया, पर वो जान जाती है की बात क्या है। वैसे अम्मा हमारी इसमें कर तो कुछ नहीं सकती पर जाने कौन सी हिम्मत फूँक देती है की सारी मायूसी एक आशा की किरण में बदल जाती है। लगने लगता है की अब सब ठीक हो जायेगा। अम्मा बस इतना कहती है की बबुआ मेहनत करते रहो और कभी हार न मानना जीवन है तो संघर्ष तो होगा ही। उम्मीद न छोड़ना अगर किसी लायक हो जाओगे तो देर सबेर ईश्वर तुमको सफलता भी देंगे और न भी दिए तो इसका मतलब ये नही की तुम काबिल नही हो। वो कहती है की भाग्य में होगा तो सुख भी आएगा और न होगा तो कितने ही बड़े बन जाओगे तो भी सुखी न रह पाओगे। हम नही जानते की अम्मा इतनी सकारात्मकता लाती कहाँ से है, मगर हमें प्रेरणा के लिए किसी और के जीवन को ताकने की जरूरत नहीं पड़ती।
❤❤
ReplyDeleteBahut achha baat likha hai bhai man me aisa kuch rahta hai jo bol nahi sakte or aap ne likh diya hai
ReplyDeleteThanks dost
ReplyDeleteMera manna hai ki kisi bhi feeling ko daba ke nhi rkhna chahiye. Ha par jab kehne k liye aapke paas koi na ho to likh dena hi sbse behtar upaay hota hai😊
Damn true ❤️
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