कई वर्षों से तुम्हारी एक "हाँ" की प्रतीक्षा कर रहा हूँ। हर दिन तुम्हारे लिए दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं और उम्मीद का दीया जल उठता है कि शायद आज वह दिन है। हर बार जब तुम्हें देखता हूँ, मन करता है कि तुम्हें अपनी भावनाएँ कह दूँ, लेकिन फिर ठहर जाता हूँ। डरता हूँ कि कहीं तुम्हारी नज़रों में कोई सवाल न आ जाए, कहीं मेरी बातों से तुम्हें कोई परेशानी न हो जाए।
तुम्हारे एक शब्द के इंतजार में हर पल जैसे ठहरा हुआ है, मगर इसी ठहराव में मेरे दिल ने धैर्य सीख लिया है। यह इंतजार ही अब मेरी सबसे प्यारी आदत बन गई है। लोग पूछते हैं कि इतनी प्रतीक्षा क्यों? लेकिन कैसे समझाऊँ कि यह प्रतीक्षा मेरे लिए बस एक संघर्ष नहीं है, बल्कि यह तो मेरी सबसे बड़ी आशा है, मेरे प्रेम की पहचान है।
तुम्हारी "हाँ" का एक पल पाने के लिए मैं हर पीड़ा, हर अकेलापन सह सकता हूँ। तुमसे मिलना, तुम्हारी मुस्कान देखना, तुमसे दो शब्द सुनना, यह सब मुझे फिर से जीवित कर देता है। कई बार ख्याल आता है कि क्या कभी मेरी प्रतीक्षा का अंत होगा? क्या कभी तुम मेरे प्रेम का उत्तर दोगी?
मगर फिर मन को समझाता हूँ, यही सोचता हूँ कि शायद मेरी यह प्रतीक्षा भी तुम्हारे प्रति मेरे प्रेम का एक हिस्सा है, जो उसे और मजबूत बनाता है। और जब भी वह दिन आएगा, जब तुम मेरी भावनाओं को स्वीकार करोगी, तब यह प्रतीक्षा जैसे पूरी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि बन जाएगी।
मैं जानता हूँ, तुम्हारे लिए मेरी भावनाएँ एक अनकहा प्रेम हैं, जिसे मैं हर रोज़ शब्दों में कहने की कोशिश करता हूँ, लेकिन बिना कहे भी तुमसे यही कहता हूँ कि मैं तुम्हारे इंतजार में हूँ... और जब तक तुम मेरी हो जाओगी, तब तक यह इंतजार ही मेरी कहानी है।
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