Wednesday 14 August 2019

स्वंतत्रता दिवस


                       सुराज्य का सपना

        क्या हम सच में आजाद है? आज आजादी के इतने वर्षों बाद भी हम सँकरी मानसिकता के गुलाम बनें हैं। देश तो अंग्रेजों से आज़ाद हो गया परंतु समाज अंग्रेजियत, पश्चिमी सभ्यता, जातिवाद, दहेज, धर्म भेदभाव आदि से नहीं आज़ाद हो सका। स्वराज तो मिला हमें परंतु सुराज्य का सपना धूमिल सा ही नजर आता है। भ्रष्टाचार, महँगाई, गरीबी, अशाक्षरता जैसे कई कारण हमें पीछे की ओर खींचते हैं। आए दिन बालात्कार जैसा घिनौना अपराध भी इस भारतभूमि पर होता है।
        केवल राष्ट्रीय पर्वों पर भारतीयता दिखाने से ही हम देशभक्त नहीं कहलाएंगे। हमें एकजुट होकर सारी सामाजिक समस्याओं से लड़ना होगा। आज हम सभी को प्रण करना चाहिए कि हम खुद का विकास करें और दूसरों को भी विकसित होने में मदद करें क्योंकि जब इस देश का एक एक नागरिक सक्षम बनेगा तभी तो हमारा भारत महान बनेगा।

मेरा भारत महान ।
भारत माता की जय ।
जय हिंद । जय भारत ।

Friday 2 August 2019

मेरा प्रेम : मेरी मुम्बई





                      मेरा प्रेम : मेरी मुम्बई
    
   मुम्बई कहने को तो यह सिर्फ एक शहर है, लेकिन यह शहर कई दिलों की धड़कन भी है। यह  तो सपनों का परिश्रम का शहर है।  हर रोज लाखों लोग भारत के  कोने -कोने से अपने  सपनों को साकार करने के लिए यहाँ आते हैं। ये भी सबका पूरा-पूरा सम्मान और स्वागत करती है।इसने भी कभी किसी का दिल नहीं तोड़ा। इस शहर ने  कई ऐसे व्यक्तियों को आसमान की बुलंदियों तक पहुँचाया है, जिन्होंने यहाँ लगन से परिश्रम किया और हाँ यदि कोई यहाँ कुछ कर न सका तो इसमें उस इंसान  में ही कोई कमी रही होगी।
                    सभी ओर से समंदर से घिरे इस खूबसूरत से शहर की  सुबह जितनी खूबसूरत है  इसकी शामें उतनी ही सुहावनी होती है। यहाँ समंदर किनारे बिताई गयी एक शाम भी जीवन के कई हसीन पलों के समान है। मुम्बई  की बरसात हो समुद्री किनारा हो खुबसूरत सी शाम  हो इससे ज्यादा  अच्छा और कुछ नही हो सकता । रातों में समुद्र किनारे जगमगाती रंग -बिरंगी लाइटें  तो ऐसी प्रतीत होती है जैसे जमीन पर ही सितारें टिमटिमा रहें हों। पैरों तले रेत ,सिर पर खुला आसमान ,समुद्र की बेबाक लहरों का शोर और लोगों की भीड़  इन सब ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है और  आगे सिखाती रहेंगी।
                     शहर  के एक ओर गगनचुम्बी इमारतें तो एक ओर बस्तियाँ । एक ओर  रहिसियत  तो दूसरी ओर फकिरियत  ही इसकी विशेषता है। रहिसों को तो दिया ही उसी तरह इस शहर ने ग़रीबों को भी अपने अपने दिल मे बसाया है। इस तरह से इतनी बड़ी है मेरी  मुम्बई और इसका दिल........त्याग, समर्पण ,प्रेम और न जाने कितने भावों को अपने अंदर समेटे यह शहर लोगों के सपनों को पूरा कर रही है।
                 और हाँ ,मुझे यकीन है मेरे भी सपने  यह अवश्य पूरा करेगी और इसके लिए मैं भी पूरी मेहनत और इच्छाशक्ति के साथ लगा रहूंगा।

Thursday 1 August 2019

एक लड़की...

     
                         एक रोज़ गाँव में

बैठा था आम की छाँव में

देखा मैंने एक लड़की

पायल पहने पाँव में

आँखों में मासूमियत चेहरे पर लाली

जैसे आयी हो स्वर्णिम नाँव में

सुंदर सुसज्जित गठीली

परन्तु विचित्र हावभाव में

देख कर लगा ऐसे

जैसे फँसी हो किसी दाँव में

न जाने क्या थी उसकी दशा तब से रह गया मैं

एक अजात घांव में....

                                         ---संदीप

पुरुष

                            पुरुष                 पुरुषों के साथ समाज ने एक विडंबना यह भी कर दी की उन्हें सदा स्त्री पर आश्रित कर दिया गया। ...