Friday 25 February 2022

युद्ध या प्रेम : कौन श्रेष्ठ

                      युद्ध या प्रेम : कौन श्रेष्ठ


युद्ध और प्रेम में कौन श्रेष्ठ है? युद्ध या प्रेम! यूँ तो श्रेष्ठ वही हो सकता है जो अड़िग, अटल और सत्य हो। जो स्वभाविक हो जिसमें किसी प्रकार का छल, हिंसा या शक्ति प्रयोग न हो। प्रेम तो एक अनादि सत्य है जो किसी न किसी रूप में सृष्टि के आरंभ से लेकर अंत तक रहेगा। जिसका होना मानव जीवन के लिए वरदान है,  जिसके बिना ये सृष्टि सुनी है। पर युद्ध का क्या? क्या यह किसी भी रूप में मानव सभ्यता के लिए हितकारी है? केवल सत्ता, शक्ति, महत्ता इत्यादि के लोभ में युद्ध उत्पन्न करना और मानवीय सभ्यता का नाश करना कहाँ तक उचित है। युद्ध कुछ दलों के बीच का प्रसंग हो सकता है, परन्तु इसका परिणाम सम्पूर्ण संसार को झेलना होता है। संसार की प्रगति को पीछे की ओर धकेलना, गरीबी, भुखमरी और अराजकता ही युद्ध की देन हो सकती है। जबकि प्रेम तो मनुष्य का मनुष्य से अनादि काल तक का संबंध जोड़ती है। कहीं दिलों से दिलों को तो कहीं देशों को देशों से जोड़ती है। विकल्प भी हमारे ही हाथों में है हमें युद्ध चाहिए या प्रेम।

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