Monday 24 January 2022

अयोध्या जी : श्रीरामजन्म भूमि

               अयोध्या जी : श्रीरामजन्म भूमि


अयोध्या जी... कितना सुंदर और अलौकिक है ना यह नाम? नाम मात्र से ही जीवन में एक आशा दौड़ जाती है। हिंदू धर्म में आध्यात्मिकता का एक प्रमुख केंद्र, तीर्थ स्थल, सर्व पूरियों में विशिष्टता रखती यह 'अयोध्या पूरी' कई सालों से हिंदुओं के आस्था का केंद्र बनी हुई है। अनेकों बार बसने-उजड़ने की कहानी संजोए, कई आक्रमण झेले हुए आज भी यह नगरी अपनी प्राचीनता और भव्यता सहित विराजमान है। जिसके कण-कण में प्रभु 'श्रीराम' बसते हैं। सालों से विवादों में घिरे होने के बावजूद यह नगरी और नगरवासी आज भी 'रामराज्य' की संकल्पना में जीते हैं। अवध क्षेत्र में रहते प्रत्येक नगरवासी के मुख से आज के युग में भी चारों पहर 'राम नाम' ही सुनने को मिलना राम जी के प्रति उनकी आस्था, श्रद्धा और विश्वास का ही परिणाम है।

इस नगरी के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व को देखते हुए देश-विदेश से लाखों दर्शनार्थी और पर्यटक यहाँ आते हैं और जीवन से जुड़े रहस्यों को भी समझने की कोशिश करते हैं। क्योंकि जीवन की व्याख्या धर्म से बेहतर शायद कहीं और नहीं मिल सकती। तो आइए आज हम भी चलते हैं 'अयोध्या जी'। अयोध्या जी यह भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में बसी नगरी है। जो की यातायात के सभी साधनों से जुड़ी हुई है, जिसके कारण आप भारत के किसी भी हिस्से से यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं। यहाँ आने की यात्रा भी अपने आप में उल्लासपूर्ण होती है। एक बार अयोध्या नगरी में पहुंचने के बाद आपको चारों तरफ साधु-महात्मा और पंडितों का तांता लगा हुआ दिखेगा। जिनमें से कुछ पंडित तो केवल लुटेरों के भांति ही होते हैं। और हाँ यहीं से शुरू होती है आपके अयोध्या दर्शन की यात्रा। आप यहाँ से कई आकर्षक घाटों, मंदिरों, धार्मिक स्थलों के दर्शन कर सकते हैं।


मान्यता के अनुसार अयोध्याजी में प्रवेश करते ही आपको सबसे पहले हनुमान गढ़ी में हनुमान जी के दर्शन करने चाहिए और उनकी आज्ञा से अयोध्या नगरी और रामजन्मभूमि क्षेत्र व रामलला के दर्शन करने चाहिए। तो आइए हम चलते हैं हनुमान गढ़ी मंदिर। यह मंदिर एक टीले पर बसा है। मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के लिए लगभग ७६ सीढ़ियों को चढ़ना होता है, जिससे हनुमान जी के भव्य दर्शन प्राप्त हो सकें। मंदिर के प्रांगण से हनुमान जी की प्रतिमा के अलौकिक दर्शन होना बेहद सुखद अनुभव होता है। यह मंदिर मानसिक शांति और आध्यात्मिकता का केंद्र है। इसके बाद हम क्रमशः कनक भवन, दशरथ महल, सीताजी की रसोई, इत्यादि के भी दर्शन कर सकते हैं और इन महलों, भवनों की भव्यता को देखकर आनंद का अनुभव करते हैं। यहाँ के इन महलों, भवनों और मंदिरों की स्थापत्य कला भी अपने आप में काफी अद्भुत है।


अब हम चलते हैं रामलला के दर्शन करने जिसकी शुरुआत होती है रामजन्मभूमि क्षेत्र से। जहाँ जाने के लिए आपको घंटों कतार में लगना होगा और सुरक्षा कारणों से आपकी सभी वस्तुएं जमा करानी होगी। रामलला के जयकारे की गूंज के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए सुरक्षाकर्मियों की निगरानी में आप जन्मभूमि क्षेत्र तक पहुंचते हैं। जहाँ आपको भव्य मंदिर निर्माण के कार्यों, नींव स्थल, आकर्षक स्तंभों, खंभों इत्यादि के दर्शन होते हैं। हालांकि भव्य मंदिर निर्माण कार्य अभी चल ही रहा है, जिससे आपको मंदिर के दर्शन नहीं होते। कुछ आगे बढ़ने पर आपको रामलला की प्रतिमा के दर्शन होंगे जिसकी स्थापना राममंदिर में होगी। रामलला की प्रतिमा के दर्शन करना ही जैसे त्रेता के साक्षात राम के दर्शन हो जाने के स्वरूप है। राम जी के दर्शन से सुख-शांति और आनंद की प्राप्ति होने के पश्चात आप अयोध्या जी में बसे अनेकों घाटों और सरजू मईया के दर्शन के लिए जा सकते हैं।

घाटों में सुप्रसिद्ध नयाघाट, अयोध्या जी के प्रमुख घाटों में से एक है। यहाँ घाट पर स्नान-ध्यान, मुंडन, अंतिम-संस्कार, इत्यादि धार्मिक कर्मकांड किए जाते हैं। घाट से ही आप सरजू मईया के पावन जल में स्नान कर अपने आप को दोष मुक्त करने का प्रण ले सकते हैं। पर्यटन की भावना से आए हुए लोगों के लिए यहाँ नौकाविहार एक अच्छा विकल्प हो सकता है। नौकाविहार से आप सरयू नदी के मध्य में जाकर अयोध्या नगरी में बसे घाटों के विहंगम दृश्य को देख सकते हैं, इन्हीं घाटों पर नित आरती होती है। जिसका साक्षी होने के लिए प्रत्येक दर्शनार्थी इच्छुक होता है। घाटों की इस शृंखला में झुनकी घाट, तुलसी घाट, राजघाट, इत्यादि भी प्रमुख हैं।

घाटों की पूजा-अर्चना और धार्मिक कर्मकांडों का अनुभव करने के पश्चात आप 'राम की पैड़ी' जा सकते हैं। कहते हैं अयोध्या जी आए और 'राम की पैड़ी' न देखा, तो आपने कुछ न देखा। 'राम की पैड़ी' पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया गया एक बहुत ही सुंदर स्थल है। जहाँ जल की धारा के एक ओर भव्य एवं प्राचीन इमारत और मंदिर स्थित हैं तो दूसरी ओर पर्यटकों के लिए सूंदर पार्क, उद्यान इत्यादि है। पिछले कुछ वर्षों से इसी 'राम की पैड़ी' पर विश्व प्रसिद्ध भव्य "दीपोत्सव" का भी आयोजन किया जाता है। 'राम की पैड़ी' की सुंदरता को देखते हुए यहाँ कुछ हद तक छात्र-छात्राएं और प्रेमी युगल भी समय बिताने के लिए आते रहते हैं। यहाँ आस-पास में कुछ स्टॉल और छोटे-छोटे फेरीवाले पर्यटकों की जरूरतों के उपयुक्त सामान बेचते हुए देखे जा सकते हैं। पर्यटन के विषय हेतु अयोध्याजी में 'राम की पैड़ी' सबसे सुंदरतम स्थान है। हालांकि संपूर्ण अयोध्या जी का धार्मिक महत्त्व तो है ही। साथ ही साथ पर्यटन का भी महत्व है। इन सब के अलावा अयोध्या जी में प्राचीन घरों को देखना भी अद्भुत है। जिनकी अवस्था अब बिल्कुल जीर्ण हो चुकी है। इनमें से कुछ तो खंडहर की भांति प्रतीत होते हैं। यूँ तो अयोध्या जी का वर्णन करने को तो शब्द ही कम पड़ जाए और लेख समाप्त ही न हो। परन्तु इस लेख की लंबाई आवश्यकता से अधिक न हो जाए इसलिए लेख को यहीं समाप्त करना पड़ रहा है।


तो कैसी लगी आपको यह अयोध्या जी के दर्शन की यात्रा। आशा करता हूँ कि इस लेख के माध्यम से आपको भी अयोध्या नगरी, रामलला, राम की पैड़ी और अनेकों घाटों के दर्शन का अनुभव और रस प्राप्त हुआ होगा। अपने विचार और अनुभव कमेंट्स में साँझा करें। प्रभु श्रीराम  सबका मंगल करें।
जय श्रीराम🚩

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