Friday 18 June 2021

आकर मेरी पीठ थपथपाना...

आकर मेरी पीठ थपथपाना...


साथ मेरे उड़ान न भर  सको,

मत भरना।

मैं अकेले उड़ान भर लूँगा,

मुझे आसमाँ छूना है।

मैं बिन पंख ही उड लूँगा...

हाथ मेरा थाम न चल सको,

मत चलना।

मैं अकेले ही चल लूँगा,

ईश्वर का दीया हूँ।

मैं बिन तेल ही जल लूँगा...

मंजिल मेरी न बन सको,

मत बनना।

मैं खुद ही मंजिल बन लूँगा,

अंधेरों का मुसाफिर हूँ।

मैं बिन पांव ही दौड़ लूँगा... 

रास्ते के कांटे मेरे न बीन सको,

मत बीनना।

मैं खुद ही चून लूँगा,

सपनों का सौदागर हूँ।

मैं बिन आंख ही ख्वाब बून लूँगा...

मुफ़लशी में मेरे न आ सको,

मत आना।

मैं खुद ही पार पा लूँगा,

वीरों का वंशज हूँ।

मैं  बिन अनाज घास की रोटी खा लूँगा...


दुख के दिनों में न सही

दुख मैं अकेला ही काट लूँगा,

मगर सुख में तो आ सही

सुख मैं सबमें बाँट लूँगा।

मत आना मेरे संघर्षों में

जो गिरू मैं तो मत उठाना,

मगर आ जाना मेरे उत्कर्षों में

आकर मेरी पीठ थपथपाना।

आकर मेरी पीठ थपथपाना।।


                                               :- संदीप प्रजापति





2 comments:

  1. बेहतरीन व अनुकरणीय👌👌👍

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  2. धन्यवाद मित्र😌

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