क्या कहा...आपको भी पहाड़ों, वादियों,घाटियों और प्रकृति से प्रेम है। तब तो आप बिल्कुल सही लेख पढ़ रहे हैं। आइए मैं आपको ले चलता हूँ ऐसी ही एक पहाड़ी पर जहाँ से लौट के आने को आपका जी बिल्कुल भी नहीं करेगा। अरे हाँ हाँ भाई है ऐसी भी एक जगह है। आज मैं आपको ले चल रहा हूँ महाराष्ट्र के माथेरान हिल स्टेशन , आइए चलते हैं।
"माथेरान" जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है, 'पर्वतों के माथे पर बसा अरण्य'। एक ऐसा प्राकृतिक क्षेत्र जिसके अनुभव से आपका चित्त एकदम शांत और प्रसन्न हो जाए। माथेरान महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले में स्तिथ है और यहाँ का सबसे निकटतम रेल्वे स्टेशन नेरल है। मुम्बई और पुणे से सटे होने के कारण इन महानगरों में बसे शहरी लोगों के लिए सप्ताहांत छुट्टियां मनाने के लिए माथेरान एक लोकप्रिय स्थल है। शहरों की भागदौड़ भरी जिन्दगी से दूर सुकून के कुछ पल बिताने के लिए माथेरान बिल्कुल उपयुक्त विकल्प है।
नेरल तक आप ट्रेनों या अपने निजी वाहनों से आ सकते हैं। मगर हाँ इसके आगे का सफर आप किसी भी प्रकार के वाहन से नहीं कर सकते हैं। ऐसा इसलिए ताकि वाहनों के प्रदूषण से यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और वातावरण खराब न हो। नेरल से आगे हिल स्टेशन की ओर जाने के लिए आप पैदल, घोड़ागाड़ी, रिक्शा या यहाँ की सुप्रसिद्ध टॉय ट्रेन का इस्तेमाल कर सकते हैं। टॉय ट्रेन जो कि अपनी खूबसूरती और यादगार यात्रा के लिए जानी जाती है। धीमी गति से आगे बढ़ती यह ट्रेन आपको पूरे हिल स्टेशन पर चढ़ती उतरती नजर आ जाएगी। जिसमें बैठकर आप आराम से खूबसूरत प्राकृतिक नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं। माथेरान में प्रवेश करते ही यहाँ का वातावरण और शुद्ध हवा मन को ताजगी और स्फूर्ति से भर देता है।
वैसे तो इस हरे-भरे हिल स्टेशन पर साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है। लेकिन यहाँ इसकी बाँह में आने का सबसे अच्छा मौसम हैं मानसून यानि की बरसात। बरसात के दिनों यहाँ चारों तरफ हरियाली, घाटियों में फैला कोहरा, हवा में तैरते बादल और भीगा-भीगा सा मौसम एक अलग ही समाँ पैदा करते हैं। बरसात के दिनों में यह स्थान और भी सुहावना हो जाता है।
एक बार माथेरान हिल स्टेशन में प्रवेश कर लेने के बाद आप खुद को ही प्रकृति के सबसे करीब पाएंगे। जहाँ तक नजर जाए वहाँ तक बस दूर तक फैले ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और चारो तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है। पहाड़ों के पास बने गणपति जी की प्रतिमा भी काफी लोकप्रिय और देखने योग्य है। यहाँ की खूबसूरती का आनंद लेने के लिए यहाँ पर कई सारे दृश्य स्थल हैं। जहाँ से आप पूरी की पूरी घाटी को एक अलग ही रोमांच के साथ देख सकते हैं और वादियों में फैली सुंदरता को आंखों में बसा सकते हैं। इनमें से कुछ दृश्य स्थल काफी दुर्लभ है जहां का नजारा आपको कहीं और नहीं मिलेगा।
मैं आपको ऐसे ही कुछ दृश्य स्थलों के बारे में बताता हूँ। जैसे कि माउंट बेरी स्थल यहाँ से आप नेरल से आती हुई ट्रैन का दृश्य देख सकते हैं। पहाड़ों पर हरियाली के बीच से घूम-घूम कर आती ट्रैन का दृश्य वाकई अभिभूत कर देता है। ऐसे ही एक है हनीमून पॉइंट यहाँ से घाटी का विहंगम दृश्य दिखाई देता है, जो कि अविस्मरणीय है।
पेनोरोमा पॉइंट यहाँ से उगते सूरज को देखते ही बनता है। पेनोरोमा पॉइंट से सूर्योदय के दृश्य देखना बेहद ही सुंदर और काल्पनिक है। वैसे ही यहाँ से सूर्यास्त का नजारा भी बहुत नाटकीय और मनोरम होता है।
वन ट्री हिल पॉइंट, हार्ट पॉइंट, मंकी पॉइंट, पोर्क्युपाईन पॉइंट, रामबाघ पॉइंट, खंडाला पॉइंट, लुईसा पॉइंट इत्यादि पॉइंट्स ये सारी जगह यहाँ की खूबसूरती को निहारने केे सबसे के अच्छे स्रोत हैं।
और हां एको पॉइंट तो और भी आकर्षक है यहाँ से आप अपनी ही ध्वनि की प्रतिध्वनि वादियों से टकराकर लौटते हुए सुन सकते हैं। लव पॉइंट , हार्ट पॉइंट, हनीमून पॉइंट और एको पॉइंट प्रेमी जोड़ों में काफी लोकप्रिय दृश्य स्थल है। मंकी पॉइंट पर तो आप बन्दरों की भरमार देख सकते हैं। बन्दरों के अलावा यहाँ पर खच्चर, घोड़े, हाथी इत्यादि प्राणी भी पाए जाते हैं। यहाँ आप घुड़सवारी का भी आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा एलेक्सजेंडर पॉइंट, लिटिल चौक पॉइंट, ओलंपिया रेसकोर्स, लॉर्ड्स पॉइंट इत्यादि स्थानों पर जाकर प्रकृति की खूबसूरती का एहसास कर सकते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
और तो और यहाँ की सबसे खूबसूरत जगह शारलेट लेक अपने अगल-बगल हरियाली लिए हुए, पानी से लबालब भरी हुई यहाँ की खूबसूरती को और निखार देती है। इस झील का नजारा और इसके पास बैठने का सुकून काफी आनंददायक है।
इतनी खूबसूरत जगह से किसी का भी वापस जाने को मन नहीं करता। इसीलिए यहाँ पर ठहरने की भी व्यवस्था है, जो कि किफायती दरों पर उपलब्ध होती है। दिन भर का थका व्यक्ति इन होटलों में रात्रि विश्राम कर सकता है और पुनः सुबह प्रकृति की गोद में जग कर प्रकृति को जी सकता है। वैसे भी एक दिन में इस जगह को जी पाना संभव नहीं है इसीलिए यहाँ रुकने की सुव्यवस्था है।
और फिर अंत में न चाहते हुए भी जब लौटने का वक्त हो जाए। फिर से वही रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी बुलाए तो लौटना पड़ता है। मानस में अनेकों स्मृतियाँ लिए अलविदा कहना पड़ता है।
बैठे हो किस सोच में, आइए माथेरान।
कुछ पल जी लो, प्रकृति की गोद मे।।
स्रोत:- स्वानुभव एवं इंटरनेट
(इस लेख में व्यक्तिगत विचार और अनुभव साझा किये गए हैं। किसी को भी कोई सुझाव देना हो, कोई त्रुटि बतानी हो या कोई और सहायता करनी हो तो आपका स्वागत है।)
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ReplyDeleteMai kbhi matheran gyi nhi hu.. But ab jane ka man ho rha h ❤❤
ReplyDeleteJana chahiye aapko
DeleteAwesome place and your thoughts ❤️
ReplyDeleteYou too dear♥️
DeleteVery informative and nice clicks������
ReplyDeleteThank you😊
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