Sunday 20 June 2021

बेबाक मोहोब्बत

                         बेबाक मोहोब्बत

वक्त दर वक्त बीतता गया और
मोहोब्बत कुछ यूं गहरी हुई है,
तोड़कर सारे बन्धनों को
रूह ये मेरी तेरे लिए ही बावरी हुई है।

काटे तुझ बिन जो  पल
अब फिर हो न वो दुबारा,
बिछड़े जो अब की तो
छीन लाऊं रब से तुझको ओ यारा।

जमाने के रोके न रुकूँ
तोड़कर बन्धन मज़हबों के,
इस दुनिया में न सही
तो आ मिलूं जहाँ में ख्वाबों के।

मुझमें मेरे राम बसे
तुझमें तेरे ख़्वाजा,
मोहोब्बत से सजी रहे हमारी ये दुनिया
कभी न बंद हो चाहतो का ये दरवाजा।

जिंदगी के हर मोड़ पर साथ तुम्हारा हो।
हाथों में मेरे बस हाथ तुम्हारा हो।।

                                                                                 :- Sandeep Prajapati


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